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दूसरे ही दिन जब मैं शानता अंटी के पास पहुँचा तो वो पहले से तयार थी नहा धोके अब योगा नहीं वो सूफे पर वेटी हुई थी मेरा इंतिजार कर रही थी एक टावल पर
तावल पर पहना हुआ था बांधा हुआ था शायद क्योंकि उसके बाल गीले थे क्योंकि वो शायद अब यह नहाई हुई थी लगतो रहा था टावल भी गीला था नीचे का भी सर का भी मैं पिछले जिन से ही एकडम मूड में था अब तो मैं गया था उसी काम को करने के लि
अब पर पर... पर�
पर पर... परप
पर पर... परप